लारेंस बिश्नोई |
लॉरेंस बिश्नोई को किससे और क्यों जाना जाता है?
बिश्नोई कॉम्य्युनिटी कि पहचान गुरु जाम्भेश्वर जिनको [जम्भू] जी कहा जाता है। ये धरती के पहले एन्वायरमेंट वैज्ञानिक थे।
वैज्ञानिक किसी भी चीज का पता बाद में लगाते पर ये पहले ही पता लगा लेते। गुरु जाम्भेश्वर बिश्नोई समाज के संस्थापक थे। इनका जन्म २८ अगस्त १४५१ में राजस्थान के नागोर जिले में हुआ था।
ये बचपन से ही नेचर लवर थे। ये अध्यात्मिक थे और किसी भी जीव हत्या के प्रति लोगो को बहुत जागरूक करने में लगे रहते थे। ओजोन सेफ्टी कि जो लेयर है, वो हमें खतरनाक सन लेयर से बचाती है और पोलुसन के कारण ये लेयर खत्म होती है।
क्या आप जानते है कि इस लेयर को सबसे पहले किसने खोजा था? गूगल कहता है कि एक फ्रेंच फिलिजिस ने चाल्स फेब्रिक और हेन्री ने १९१३ में इसका पता लगाया।
लेकिन आपको बता दूँ गुरु जाम्भेश्वर ने ५ सौ ५० हजार साल पहले ही बता दिया था। 'मोरे धरती ध्यान वनस्पति वासो, ओजू मण्डल छायो ! ये पेड़ को बोलते थे कि पेड़ ध्यान रूप में बसता है और कहते थे की पेड़ भगवान का ध्यान करता हैं।
जो ध्यान रूप में बसने वाले पेड़ उनके खतरे के लिए ओजू मण्डल छाया हुआ है, इसीलिए उन्हें धरती का पहला वैज्ञानिक कहते है। उन्होंने बहुत सारी चीजें पहले ही बता दी थी।
गुरु जम्भेश्वर ने अपने जीवन में २९ संस्कार दिए, इसीलिए इनका नाम २० + ९ = २९ बिश्नोई पड़ गया। बहुत लोग कहते है कि ये विष्णु के उपासक है। इनकी कम्युनिटी भगवान विष्णु को बहुत मानती है।
हरे पेड़ नहीं काटते ये इनका बहुत मोल था। इस मामले में सबसे बड़े कम्युनिटी इनकी है। अपने गर्दन तक कटवा दिए, अपने सिर धड़ से अलग कर दिए, हाथ कटवा दिए, मरने को तैयार हो जाते है। सैकड़ो बिश्नोईयों ने अपनी जान दे दी लेकिन हरे पेड़ नहीं काटने दिए।
बिश्नोईयों के बारे में कोई नहीं जानता आज जानेंगे। हर प्राणी पे दया भाव रखना ये कहते थे इनके गुरु जाम्भेश्वर। प्राणी का मतलब क्या होता है इंसान नहीं जानवर भी।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई
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अगर किसी जानवर कि माँ मर जाती तो, बिश्नोई समाज की माँ अगर अपने बच्चे को स्तन पान करा रही है, तो अपने तन से उस जानवर को भी दूध पिलाती है।
ये पूरे दुनिया में कहीं नहीं होता ये केवल बिश्नोईयों के पूरे गाँवो में चलते चला जा रहा है। उनका मानना यह है कि कोई भी जानवर का मांस मारकर नहीं खाना चाहिए।
उनके हिसाब से सभी का प्राकृतिक मृत्यु होना चाहिए। ये लोग नील रंग को पसंद नहीं करते। क्यूंकि नील कि खेती में पानी ज्यादा लगता है और जब ये सोईल में कन्वर्ट होंगे, तो वो UV रेस ज्यादा ऑब्जर्व करेगा।
जो कैंसर का कारण बनेगा। आज से ५०० साल पहले इन्होने इन सब कि जानकारी दे दी थी। इनके यहाँ "खेजड़ी" का एक पवित्र पेड़ होता है। जिन्हें ये भगवान मानते हैं।
खेजड़ी को ये तुलसी और पिपल के बराबर पूजनीय मानते हैं। क्यूंकि खेजड़ी के पत्ते ऊंट के खाने के लिए और फूल, फल से सब्जी और आचार बन जाता है।
सूखे फल का उपयोग सुखा मेवा या दवा के रूप में किया जाता है। खेजड़ी का लकड़ी के फर्नीचर के रूप में उपयोग होता है, तथा जड़ें बहुत ही मजबूत होती हैं, जिनका ये हल बनाते हैं।
पूरे गर्मियों में राजस्थान में एकमात्र खेजड़ी ही हरा भरा पेड़ नज़र आता है। १७३० में ३६३ लोगों ने इस पेड़ के लिए अपनी गर्दन कटवाई थी।
जोधपुर के राजा अजय सिंह के महल में लकड़ी कि जरुरत पड़ने पर, उनके आदेश पर खेजड़ी का पेड़ काटने के लिए सैनिक निकल पड़े और कटा भी।
लॉरेंस बिश्नोई का इतिहास
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लेकिन बिश्नोई समाज की "अमृता देवी" सैनिको से भीड़ गयीं। अमृता देवी को आज भी बिश्नोई सामज बहुत मानते हैं। क्यूंकि अमृता देवी जाकर पेड़ को चिपक कर खड़ी हो गयी और कहा पहले मेरी गर्दन काटो फिर पेड़ काटना।
सैनिको ने उनकी गर्दन तो काट दी, लेकिन इतने में उनकी ३ बेटियां वहां आ गयी और पेड़ पर अड़ गयीं। सैनिकों ने उनका भी गर्दन काट दिया फिर उनके पति भी आ गए।
पेड़ को नहीं काटने के लिए अड़ गए। लेकिन सैनिको ने उनके गर्दन भी काट दिए ऐसे करते-करते ३६३ लोगो ने अपनी गर्दन कटवाई, पर पेड़ नहीं काटने दिया था।
इस से सम्बन्धित एक आन्दोलन १९७३ में शुरू हुआ था, जिसका नाम "चिपको आन्दोलन" था। जो अमृता देवी से ही इंस्पायर्ड था। सरकार ने अमृता देवी बिश्नोई वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन अवार्ड भी रखा, जो इन्ही के नाम से था।
शौर्य वीर चक्र के बारे में तो आप जानते ही होंगे। जो सेना में होने पर किसी साहसी और अच्छे कार्य के लिए दिया जाता है। बिना सेना में रहे १९९६ में निहाल सिंह बिश्नोई जो राजस्थान के बिकानेर के थे, इन्होंने इसे अपने नाम किया।
रात के समय कुछ शिकारी ब्लैक बक्क (हिरण) जो लारेंस बिश्नोई और सलमान खान कि असली कन्ट्रोवर्सी का कारण है। इनके गाँव में आये और ६ हिरनों को बन्दूको से मार गिराया।
लेकिन जब इन्हें गोलियों की आवाज़ सुनाई दी, तब इन्होने भागते हुए गए और देखा कि ६ हिरन मरे पड़े हैं, और शिकारी कुछ और हिरणों को मारने कि तयारी में है।
तब इन्होने एक अलग तरह कि अवाज निकालकर जानवरों को भागने का इशारा कर दिया। सभी हिरन भाग गए लेकिन अगले दिन उस जंगल से ७ लाशे निकली। जो कि ६ तो मारे गए हिरन थे ७ वा निहाल सिंह जी थे।
उन्होंने जान पर खेल कर हिरनों को बचाया और जो पहले ही मारे गए थे, उन्हें उन शिकारियों को ले नहीं जाने दिया। स्वयं गोली का शिकार हुए और हिरनों के लिए जान दे दी।
History Lawrence Bishnoi
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सरकार ने उन्हें १९९६ में शौर्य चक्र से सम्मानित किया। ये विश्नोई समाज मित्रो इन्हें जानवरों से बहुत प्रेम है। ऐसा ही एक वाकिया १७५६ का है, जब नागौर में नरसिंह नाम के राजा ने बहुत सारे खेजड़ी के पेड़ काट दिए।
तब बूचो जी ने वहां जाकर आन्दोलन किया। बिश्नोई समाज का एक गुरुमंत्र है कि "गुरु के वचने नीव खिव चालो"। अर्थात गुरु के वचनों के पालन के लिए अपनी जान दे दो।
बूचा जी ने कहा हम पेड़ से सांसे लेते हैं। तो लोग हंसने लगे उनपर भला पेड़ से कैसे सांसे लेगा कोई! क्यूंकि उन्हें ये नहीं पता था कि पेड़ से अक्सीजन मिलता है।
राजा ने सोचा कि भला पेड़ के लिए कोई जान थोड़े ही देता है। राजा ने कहा अगर तुम सर कटवाने के लिए तैयार हो जाओ, तो मैं पेड नहीं काटूंगा।
बूचा जी ने भी कहा मैं ये वचन देता हूँ, कि आप पेड़ मत काटो मेरे घर और गाँव के लोग कोई आपत्ति नहीं जताएंगे। मैं पेड़ के लिए सहीद हो जाऊंगा। राजा ने भी वचन लिया और सोचा कि ट्राई करते ही भाग जायेगा।
लेकिन जब राजा ने तलवार रखी गर्दन पर तो बूचा जी भी खड़े रहे और अपने गुरु जाम्बेश्वर जी का स्मरण करते रहें। बूचा जी ने अपनी गर्दन कटवा ली एक पेड़ को बचाने के लिए।
१७७४ में बलिदान के लगभग १८ साल बाद एक अँगरेज़ वैज्ञानिक "जोजेफ प्रिस्तली" फोटोसिंथेसिस से समझाया कि पेड़ से अक्स्सिजन निकलती है। गुरु जाम्बेश्वर ने ५०० साल पहले ही बता दिया था।
Larence Bishnoi Ka Itihas
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"खामु राम बिश्नोई" जिनके नाम एक्स्ट्रा आर्डिनरी मन ऑफ़ इंडिया का खिताब है। क्यूंकि उन्होंने प्लास्टिक पोलुसन के खिलाफ अकेले ही लड़ा था।
४८ साल के किसान अनिल बिश्नोई पोचर जो जानवरों को पकड़ते हैं, उनके लिए २०० से ज्यादा केश लड़ चुके हैं। कोर्ट में ३० सालो से भारत में १०००० से ज्यादा ब्लैक बक्क हिरन जिनकी पूजा करते हैं, बिश्नोई समाज उनकी रक्षा की है।
राजस्थान के ही जालौर जिले में पीराराम बिश्नोई जो सड़क पर पंचर का कार्य करते थे। उन्होंने देखा कि हिरन की माँ जो रोड एक्सीडेंट में मर चुकी है, बच्चा उसका दूध पीने की कोशिस कर रहा है।
उन्होंने उस बच्चे को बचाया और अब तक २००० जानवरों को न सिर्फ बचाया बल्कि, रेहाईब्लाटेड भी किया। ये है बिश्नोई समाज आप तो सिर्फ लॉरेंस बिश्नोई को जानते हो।
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राजनीती में भजनलाल बिश्नोई कुलदीप बिश्नोई ३ बार हरियाणा के चीफ मिनिस्टर रह चुके हैं। तो दोस्तों ये है विश्नोई समाज का इतिहास जो आपको जितना जानकारी प्राप्त कर सका बताया कैसी लगी जरुर बताएं।