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First Atom Bomb Kaise Bana- पहला परमाणु बम किसने बनाया? |
First Atom Bomb Kaise Bana- पहला परमाणु बम किसने बनाया?
First Atomic Bomb: दोस्तों आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां हमारी जिंदगी हरपल घातक हथियारों से घिरी हुई है। आधुनिक समय में तरह-तरह की हथियारों की परीक्षण होते ही रहते हैं। जो मानव जीवन के लिए एक अभिशाप जैसा है।
परन्तु क्या करें हमारे देश की रक्षा के लिए यह भी जरूरी है। इन्हीं में एक न्यूक्लियर हथियार जिसे Atomic Weapon कहा जाता है। जिससे स्वयं इसके बनाने वाले डरते हैं। जी हां युद्ध चाहे कहीं भी हो रहा हो मगर इसका डर संपूर्ण विश्व को लगा रहता है।
स्वयं अमेरिका, रसिया आदि डरते हैं कि कहीं युद्ध में इसका उपयोग ना होने लगे। क्यूंकि 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा पर “लिटिल बॉय” और 9 अगस्त नागासाकी “फैट मैन” के शिकार हुए थे।
जिन्हें शायद ही कोई नहीं जनता है। आखिर क्या है Atomic Bomb किसने इसको बनाया कब बना? आज के इस पोस्ट में सारी जानकारी आपको मिलेगी।
न्यूयार्क में 22 अप्रैल 1904 में जन्में जूलियस ओपनहाइमर रॉबर्ट एक असाधारण बुद्धि वाले बच्चे थे। वे कैमिस्ट्री डिग्री हार्वर्ड, भौतिकी में पी. एच. डी. जर्मनी और क्वांटम मैकेनिक में महत्वपूर्ण योगदान दिए।
सब मिलाकर ये कहा जा सकता है कि वो एक चमत्कारी लड़के थे। साल 1942 द्वितीय विश्व युद्ध चरम पर था। तभी अमेरिका द्वारा “मैनहटन प्रोजेक्ट” को हरी झंडी दी गई। जिसका मेंन मकसद था नाज़ियों से पहले परमाणु बम बना लेना।
इस प्रोजेक्ट की कमान न्यू मैक्सिको के लॉस एलामोस लेबोरेटरी में हजारों वैज्ञानिकों को एकजुट कर वैज्ञानिक ओपनहाइमर को सौंपा गया। प्रोजेक्ट तैयार होने में बहुत मुश्किले भी आई और फेल भी हुए।
Atom Bomb Kaise Kaam Karta Hai - परमाणु बम कैसे काम करता है?
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यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 को एक न्यूट्रॉन द्वारा प्रभावित किया जाता है, तो यह नाभिक टूट जाता है और कई छोटे नाभिकों में बंट जाता है। इस प्रक्रिया में ढेर सारी ऊर्जा और अतिरिक्त न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं, जो दूसरे नाभिकों को भी विभाजित करने में सक्षम होते हैं।
ये पूरी प्रक्रिया एक चेन रिएक्शन होती है। यही वजह है कि जब कोई परमाणु बम फटता है तो उसका परिणाम इतना ज्यादा घातक हो जाता है। परमाणु बम दो प्रकार के होते हैं। फिशन बम (Fission bomb)। इस बम में केवल नाभिकीय विभाजन का प्रयोग किया जाता है।
जबकि, दूसरे यानी हाइड्रोजन बम में नाभिकीय संलयन के साथ-साथ विभाजन का भी प्रयोग होता है। यही वजह है कि ये बम फिशन बम से कहीं ज्यादा अधिक शक्तिशाली होता है। किसी परमाणु बम के विस्फोट की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उसे सक्रिय किया जाता है।
यहां पर डेटोनेटर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। डेटोनेटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो बम के अंदर मौजूद विस्फोटक सामग्री को सक्रिय करता है। बम को सक्रिय करने के लिए डेटोनेटर को सही समय पर सही तरीके से ट्रिगर करना जरूरी होता है, ताकि बम का विस्फोट प्रभावी और घातक हो सके।
इसके बाद जब डेटोनेटर सक्रिय होता है तो यह विस्फोटक सामग्री में ब्लास्ट शुरू कर देता है। इसकी वजह से शुरुआती विस्फोट न्यूक्लियर सामग्री को संकुचित करता है और फिर संकुचन की वजह से भारी नाभिक एक दूसरे के करीब आ जाते हैं, जिससे न्यूट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है।
इसके बाद न्यूट्रॉन अन्य नाभिकों को प्रभावित करने लगते हैं और फिर विस्फोट की एक चेन बन जाती है। अंत में यही एक भयंकर विस्फोट का कारण बनती है।
First Atom Bomb Kisne Banaya - पहला परमाणु हथियार किसने बनाया?
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Trinity Test: आखिरकार 16 जुलाई 1945 को ट्रीनिटी टेस्ट ने ओपनहाइमर को First Atom Bomb का जनक बनाकर इतिहास रच दिया। ओपनहाइमर के दिमाग़ में भागवत गीता का कुछ पंक्तियां गूंज रही थीं।
“मैं मृत्यु बन गया हूं। विश्व का संहारक बन गया हूं। ओपनहाइमर के लिए यह समय भय और विजय से युक्त था। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर “लिटिल बॉय” और नागासाकी पर “फैट मैन” अमेरिका द्वारा Atom Bomb गिराया गया। जिसमें लगभग 2 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जिससे 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस घटना ने ओपनहाइमर को अंदर से तोड़ दिया था। क्योंकि उनके बनाए Atom Bomb ने बहुत से निर्दोष लोगों को अपनी आग में झोंक दिया था। इस घटना के बाद ओपनहाइमर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन से 25 अक्टूबर 1945 को मुलाक़ात की।
छोटी सी मुलाक़ात में ओपनहाइमर ने कहा मेरे हाथ लाखों लोगों के खून से सने हैं। इस पर राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने कहा तुम उसकी चिंता छोड़ो वो मेरे हाथों पर है और ओपनहाइमर को रोता हुआ वैज्ञानिक कहकर ऑफिस से बाहर निकाल दिया और कहा इसे दोबारा यहां मत आने देना।
About Openhymer Robert - ओपनहाइमर रॉबर्ट कौन थे?
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हिरोशिमा और नागासाकी की घटना के बाद ओपनहाइमर परमाणु हथियारों के खिलाफ़ हो गए थे। साल 1947 में वे (AEC) अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग की जनरल एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन बने जहां उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण की वकालत भी की। उन्होंने हाइड्रोजन बॉम्ब के निर्माण का विरोध किया।
क्योंकि यह First Atom Bomb से कई गुना अधिक खतरनाक था। यहीं से उनके बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी। उनके विरोध से 1954 में कम्युनिस्ट प्रेम के वजह से इनसे सिक्योरिटी क्लियरेंस छीन लिया गया जो कि उनके करियर का अंत था।
साल 1960 में ओपनहाइमर जापान भी गए लेकिन वो हिरोशिमा और नागासाकी नहीं जा पाए। ओपनहाइमर कभी माफी नहीं मांग सके। उनके मन में हमेशा इस बात का पछतावा रहा। क्यूंकि ओपनहाइमर ने 1946 में स्वयं कहा कि मेरे इस निर्माण ने आधुनिक समय के युद्ध को एक अलग और असहनीय युद्ध बना दिया है।
आखिरकार 1967 में गले के कैंसर से इस महान वैज्ञानिक की मृत्यु हो गई। लेकिन संपूर्ण विश्व आज भी उनकी कहानी याद करती है। जब भी हिरोशिमा और नागासाकी की बात आती है तो ओपनहाइमर को भी लोग याद करते हैं कि कैसे विज्ञान जितना अच्छा है उतना ही घातक भी।