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गिरगिट: एक रहस्यमय रंग बदलने वाला जीव |
गिरगिट (Chameleon) एक अद्भुत और रहस्यमय जीव है, जो अपनी त्वचा का रंग बदलने की विशेष क्षमता के लिए जाना जाता है। यह जीव मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
गिरगिट की अनोखी विशेषताएं इसे अन्य जीवों से अलग बनाती हैं। आज के इस लेख में हम जानेंगे गिरगिट के बारे में विस्तार से, जिसमें शामिल होंगे इसके शरीर की रचना, रंग बदलने का कारण, रहन-सहन और अन्य रोचक तथ्य।
गिरगिट का रंग बदलने का कारण और आहार
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गिरगिट एक मध्यम आकार का सरीसृप होता है जिसकी लंबाई 15 से 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसकी आँखें गोल और घूमने योग्य होती हैं, जो एक साथ दो अलग-अलग दिशाओं में देख सकती हैं। गिरगिट की जीभ लंबी और चिपचिपी होती है, जिससे यह अपने शिकार को आसानी से पकड़ लेता है।
इसकी पूंछ मजबूत होती है जो पेड़ों की शाखाओं को पकड़ने में सहायक होती है। गिरगिट रंग क्यों बदलता है, यह प्रश्न बहुतों के मन में आता है। वास्तव में, गिरगिट अपनी त्वचा की निचली परतों में उपस्थित विशेष कोशिकाओं (chromatophores) के कारण रंग बदल सकता है।
गिरगिट कैसे रंग बदलता है
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यह रंग परिवर्तन भावनात्मक स्थिति, वातावरण के तापमान, प्रकाश और खतरे के समय में होता है। यह प्रक्रिया आत्मरक्षा और संवाद दोनों के लिए उपयोगी होती है।
गिरगिट मुख्य रूप से कीटभक्षी होता है। यह मक्खियाँ, टिड्डे, पतंगे और छोटे कीड़े खाता है। इसकी जीभ की गति बहुत तेज होती है, जिससे यह शिकार को पलक झपकते ही पकड़ लेता है।
गिरगिट की प्रजातियाँ और निवास स्थान:
दुनिया भर में गिरगिट की लगभग 200 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह ज्यादातर पेड़ों पर रहते हैं और उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में इनकी संख्या अधिक होती है। भारत में भी गिरगिट की कुछ प्रजातियाँ दक्षिणी राज्यों में पाई जाती हैं।
गिरगिट के रोचक तथ्य:
गिरगिट की आँखें 360 डिग्री घूम सकती हैं।
यह एक बार में 2 अलग-अलग दिशाओं में देख सकता है।
गिरगिट की जीभ उसके शरीर की लंबाई से भी अधिक होती है।
गिरगिट रंग बदलकर वातावरण में खुद को छिपा लेता है।
निष्कर्ष: गिरगिट एक अनोखा जीव है जो हमें प्रकृति की जटिलता और सुंदरता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसकी रंग बदलने की क्षमता, तेज दृष्टि और फुर्तीली जीभ इसे एक चमत्कारी जीव बनाती है। गिरगिट के संरक्षण और इसके प्राकृतिक निवास स्थान को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस अनमोल जीव को देख सकें।
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